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राजभाषा विभाग

   राजभाषा विभाग पहले 'हिन्दी प्रकोष्ठ' के नाम से जाना जाता था जो मानविकी तथा सामाजिक विभाग के साथ संलग्न था। इसके मुख्य क्रियाकलाप, संसद में प्रस्तुति हेतु संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करने तक सीमित था। कालान्तर में यह महसूस किया गया कि संस्थान को भारत सरकार की राजभाषा नीति के कर्यान्वयन में महत्वपुर्ण भुमिका निभानी चहिये। परिणामस्वरूप, राजभाषा विभाग को मानविकी एवं सामाजिक विभाग से अलग कर दिया गया। ये अब स्वतंत्न इकाई के रूप में कार्यरत है।
      इसके पास ६०० से अधिक विभिन्न विषयों से सम्बन्धित पुस्तकों एवम् तकनीकी शब्दकोषों से सुसज्जित पुस्तकालय है। इसके पास दस्तावेजों को द्विभाषा में तैयार करने के लिये नये सॉफ्टवेयर हैं। इसे राजभाषा के कर्यान्वयन की जिम्मेवारी सौंपी गयी है। इसके क्रियाकलापों में शामिल है - वार्षिक प्रतिवेदन, वार्षिक लेखाओं, लेखा परीक्षा रिपोर्ट, विभिन्न नामपट्टो का अनुवाद करना, संस्थान् द्वारा दी जाने वाली डिग्रीडिप्लोमा का हिन्दी अनुवाद तैयार करना, तथा एक मासिक पत्निका 'झरोखा' का प्रकाशन करना आदि। इसके अतिरिक्त राजभाषा विभाग हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये वर्ष में ३ प्रशिक्षण कर्यक्रम भी आयोजित करता है।
      राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र संख्या १२०२४/३/२००८/रा. भा.(का - २) द्वारा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के निदेशक प्रो दामोदर आचार्य की अध्यक्षता में खड़गपुर में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) का गठन किया गया है। खड़गपुर नगर एवं उसके नजदीकी सभी केन्द्र सरकार के कार्यालय इसके सदस्य है।
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